Jeevan Saransh

Author: Sudhir Kaistha ये सिलसिला जो यूँ ही चल निकला, हर राह ले जायेगी….. जहां तक, मैं हूँ अकेले पहुँच पाया। "पूछा जो हमनें क्या खता है मेरी, पुराने जख्म कुरेद के दिखाता रहा। जिन जख्मों की हमको दवा ढूंढनी है, उन जख्मों को नासूर बनाता रहा।रिश्तों को खुशहाल जो बनाना हमें है, पुरानी रंजिशों … Continue reading Jeevan Saransh